गज़ल
शहर तेरे है सांझ ढली
गले लग रोई तेरी हर गली
यादों में बार बार है सुलगें
हथेलियां तेरी मेंहदी लगी
तेल तो डाला चम्मच भर-भर
माथे की न ज्योति जली
ईश्क मेरे की सालगिरह पर
किसने भेजी ये काली कली
शिव को यार जब आये जलाने
सितम तेरे की ही बात चली
शिवकुमार बटालवी द्वारा पंजाबी में लिख ‘’संपूर्ण काव्य संग्रह’’ में से एक गज़ल का जसविन्दर धनी द्वारा हिन्दी रूपान्तर