Monday, May 9, 2011

jasvinder dhani - Tribute to Punjabi Poets 13


दिल

लकड़ी टूटे किड़-किड़ होए
शीशा टूटे तो तड़-तड़।

लोहा टूटे कड़-कड़ होए
पत्‍थर टूटे तो पड़-पड़ ।

शाबाशी दूँ आशिक के दिल को
वर्षों रहे सलामत।

जिसके टूटे आवाज़ न निकले
न किड़-किड़ न कड़-कड़ ।

पंजाबी कवि प्रोफेसर मोहन सिंह द्वारा लिखी कविता दिल का जसविन्‍दर धनी द्वारा हिन्‍दी रुपान्‍तर

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