गज़ल
जब भी तेरा दीदार होगा
ग़म दिल का बीमार होगा।
किसी भी जन्म में आकर देख लेना
तेरा ही तेरा इंतज़ार होगा।
जहां टूटा हुआ भी कोई दिया न मिले
वहीं मेरा मज़ार होगा।
किसी ने मुझे आवाज़ मारी है
शायद दिल को कोई बीमार होगा।
ऐसा लगता है "शिव" तेरे शेरों में
सुलगता हुआ कोई अंगार होगा।
शिव कुमार बटालवी द्वारा पंजाबी में लिखे "संपूर्ण काव्य संग्रह" में से एक
गज़ल का जसविन्दर धनी द्वारा हिन्दी रुपान्तर
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