Thursday, April 28, 2011

jasvinder dhani - Tribute to Punjabi Poets 07


            गज़ल

तूं विदा हुआ मेरे दिल पे उदासी छा गई
टीस दिल की बूंद बनकर आखों में आ गई

दूर तक नज़र मेरी निशां तेरे चुमती रही
फिर निशां तेरे वो रास्‍ते की मिट्टी खा गई

जाने से पहले थी तेरे यौवन पर बहार
जाने के बाद देखा कि हर कली मुरझा गई

उस दिन के बाद न बोला न देखा ही हमने
यह जुबां खामोश हुई और नज़र पत्‍थरा गई
  
इश्‍क को सौगात जो तूं दर्द की था दे गया
आखिर वो ही दर्द ‘’शिव’’ को धीरे-धीरे ले गया

शिवकुमार बटालवी द्वारा पंजाबी में लिख ‘’संपूर्ण काव्‍य संग्रह’’ में से एक गज़ल का जसविन्‍दर धनी द्वारा हिन्‍दी रूपान्‍तर 




                               Audio visual for this Gazal will be uploaded shortly



 

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