Saturday, April 30, 2011

jasvinder dhani - Tribute to Punjabi Poets 10


               गज़ल 
मेरा सूरज डूबा है तेरी शाम नहीं है
तेरे सर पर सेहरा है ईल्‍ज़ाम नहीं है।  

इतना है कि मेरे लहु ने वृक्ष सींचा है
क्‍या हुआ अगर पत्तों पर मेरा नाम नहीं है।  

मेरे हत्‍यारे ने गंगा में लहु धोया है
गंगा के पानी में कुहराम  नहीं है ।  

मस्जिद के कहने पर काज़ी के फ़तवे पर
अल्‍लाह को कत्‍ल करना ईस्‍लाम नहीं है।

यह सज़दे नहीं माँगता सर माँगता है
यारों का संदेशा है ईलहाम नहीं  है।      

मेरी चिन्‍ता न करना मन हो तो वापिस हो जाना
हम रुहों को तो बस आराम नहीं है ।







                           Audio visual for this Gazal will be uploaded shortly 









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