कविता
एक ही एक संदेशा मैं दूं तुझको
लिखने वाले की कलम को तूं कर तेज़ जाके
या फिर कलम ही उसकी तूं बदल देना
स्याही बदल देना, नई स्याही डालके
रखना संभाल उन कोरे कागज़ों को
उस पर जमीं के हक की मोहर लगाके
अक्षर देना तूं उसके हाथ ऐसे
बदल दे वो सारे फ़रमान आके
अमृता प्रीतम द्वारा लिख्ो "काव्य संग्रह" से ‘सुनेहड़े’ कविता के एक अंश का जसविन्दर धनी द्वारा हिन्दी रुपान्तर
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