Thursday, April 28, 2011

jasvinder dhani - Tribute to Punjabi Poets 03


                  कविता

एक ही एक संदेशा मैं दूं तुझको 
लिखने वाले की कलम को तूं कर तेज़ जाके

या फिर कलम ही उसकी तूं बदल देना
स्‍याही बदल देना, नई स्‍याही डालके

रखना संभाल उन कोरे कागज़ों को
उस पर जमीं के हक की मोहर लगाके

अक्षर देना तूं उसके हाथ ऐसे
बदल दे वो सारे फ़रमान आके

अमृता प्रीतम द्वारा लिख्‍ो "काव्‍य संग्रह" से ‘सुनेहड़े’ कविता के एक अंश का जसविन्‍दर धनी द्वारा हिन्‍दी रुपान्‍तर





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