Thursday, April 28, 2011

jasvinder dhani - Tribute to Punjabi Poets 05


         गज़ल

आ गई तरकीब हमको ग़म उठाने की,
धीरे-धीरे रोकर दिल को मनाने की ।

अच्‍छा हुआ जो तूं पराया हो गया
चिन्‍ता ही हुई खत्‍म तुझको अपनाने की ।

मर तो जाऊं पर डरता हूं ऐ जीने वालो
धरती भी बिकती है मोल शमशानों की ।

न दो मुझे और सांसें उधार मेरे दोस्‍तो
हिम्‍मत नहीं है अब लेकर फिर लौटाने की ।

न करो ‘’शिव’’ की उदासी का इलाज
रोने की मरज़ी है आज इस दीवाने की।


शिवकुमार बटालवी द्वारा पंजाबी में लिख ‘’संपूर्ण काव्‍य संग्रह’’ में से एक गज़ल का जसविन्‍दर धनी द्वारा हिन्‍दी रूपान्‍तर 

         


                             

                     

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